कम उम्र में बड़ी सफलता

कम बीवी 'फिर' गुस्से में थी। बीवी गुस्से में कब नहीं होती! हाथ में अखबार था। अखबार में छपी एक खबर- 'फिनलैंड की सना मरिन सबसे कम उम्र में प्रधानमंत्री बनीं' की तरफ इशारा करते हुए मुझसे प्रश्न किया, 'इसे पढ़ा?' खबर देखकर मैंने 'नहीं' में सिर हिला दिया। दो पल दम लेने के बाद बोली, 'जानती हूं, ऐसी खबरें तुम पढ़कर भी 'इग्नोर' कर देते हो। क्योंकि इनमें मसाला नहीं होता न।' मैंने कहा, 'नहीं, ऐसी बात नहीं। इतनी खबरों में इस खबर पर निगाह शायद न गई हो। क्या बड़ी बात है।' बेलन टेबल पर रखते हुए बोली, 'क्या बड़ी बात है मतलब! 34 साल की उम्र में वो एक देश की प्रधानमंत्री बन गई। और तुम्हें यह बड़ी बात ही नहीं लगती!' मैंने हल्की आवाज में समझाया, 'तो क्या! होते हैं कुछ इनसान जो कम उम्र में ही बड़ी सफलता पा लेते हैं। अपने सचिन तेंदुलकर को ही देख लो। शायद 16 साल की उम्र में उसने अपना पहला मैच खेला था। और, लता दीदी ने भी बहुत कम उम्र में गाना शुरू कर दिया था। भगत सिंह ने मात्र 23 साल की उम्र में क्रांति कर दी थी।' छरी को हाथ में लेते हुए बोली, 'देख लो इन महान लोगों को इतनी-सी उम्र में पूरी दुनिया में अपना नाम रोशन कर दिया। और, एक तुम हो 'कुएं के मेंढक'! जहां कल थे, आज भी वहीं हो। हो लेखक पर घर की चारदीवारी से बाहर जानता तुम्हें कोई नहीं है।' बीवी अपनी रौ में लौट आई थी। अतः मेरे लिए यही मुनासिब था कि मैं धैर्य के साथ उसे उत्तर दूं। मैंने कहा, 'नहीं ऐसा नहीं है। मुझे भी घर से बाहर बहुत लोग जानते और पढ़ते हैं। कल ही नारियल बेचने वाला असलम बता रहा था, 'बाबू जी, आप कमाल के व्यंग्य लिखते हो। मैं पढ़ता रहता हूं।' अब बताओ। बीवी ने कटाक्ष किया, 'बस-बस, मैं समझ गई तुम्हारी जान-पहचान और तुम्हें पढ़ने वालों की 'रीच' को।' मैंने कहा, 'पढ़ा तो जाता हूं न, यह क्या कम है।' मेरी बात काटते हुए बोली, 'अगर इतने ही पढ़े जाते हो तो आज तक एक भी ऊंचा पुरस्कार तो तुम्हें मिला नहीं। किताब तुम्हारी है नहीं। प्रकाशक तुम्हें घास डालते नहीं। पैसा तुम्हारी अंटी में रहता नहीं। मैं तो तुम्हें लेखक ही नहीं मानती, समझे! सना 34 की उम्र में पीएम बन गई और तुम 44 की उम्र में लेखक भी न बन पाए ढंग के।'